लेखिका का परिचय :
अंकिता प्रशांत सिंह गत बीस वर्षों से शिक्षण, मनोविज्ञान और अध्ययन के क्षेत्रों में कार्यरत रही हैं। इन्होंने मनोविज्ञान मेंस्नातकोत्तर और गाइडेन्स व काउन्सेलिंग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है। ये धौलाधार आर्मी प्राईमरी स्कूल,डलहॉजी छावनी में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत रह चुकी हैं। भारतीय सेना से जुड़े होने के कारण इन्हें पूरे उत्तर वपूर्वोत्तर भारत के भ्रमण का अवसर मिला। भारत के विभिन्न हिस्सों में लोगों के रहन-सहन और संस्कृति की झलक इनकीकहानियों में देखने को मिलती है। इनकी पहली रचना "द ताज महल रिव्यू" जरनल के दिसम्बर 2012 के अंक में प्रकाशितहुई। ये हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में काव्य तथा कहानियाँ लिखने में रुचि रखती हैं।
संकलन के विषय में :
"दुहिता" दस कथाओं व पाँच काव्यों का संकलन है जिनमें जीवन की कठिनाइयों को साहस व संवेदना से पार करने कीप्रेरणा दी गई है। ये कहानियाँ भारत के कई कोनों से आती हैं। हर रचना में वहाँ के रहन सहन की झलक मिलती है। इससंकलन के माध्यम से पाठकों को भारत के विभिन्न भागों से जोड़ने के साथ उनके समक्ष आ रहे व्यवधानों के प्रतिसकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने कोशिश की गई है। इस संकलन की रचनाओं में आशा, स्नेह और संघर्षों के पार खड़ीविजय है; वे रिश्ते हैं जिनसे शायद हम दूर हो चुके हैं; परिवार व समाज में अपनी पैठ बना चुके उन विचारों से लड़ाई है जोनई पीढ़ी को आगे बढ़ाने से रोकती है। मणिपुर में बसे नगलोई की पहाड़ियों से लेकर बिहार में गंगा के किनारे बसे भागलपुरतक और हिमाचल में डलहॉजी की बर्फ से लेकर ग्वालियर की पुरानी हवेलियों तक विचरण करती ये कहानियाँ, पाठक कोरिश्तों में छिपे प्रेम से अवगत करवाती हैं। कुछ कहानियों में हृदय को छू जाने वाले प्रश्न हैं तो कुछ में नियति व भाग्य से लड़सकने के उत्तर । ये रचनाएँ हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
दुहिता
ISBN 9788196920999 PP 102 BINDING PAPERBACK YEAR 2024