शकु अर्थार्त शकुंतला का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत है इस किताब के रूप में|
नाजो में पली, अपनी पिता की लाडली, दो भाइयों की इकलौती बहन, एक सैनिक अधिकारी की पत्नी, और दो शूरवीर लडको की माँ, एक वीरांगना का अद्भुत संजोग है शकुंतला| संस्कारी परिवार में पली बड़ी शकुंतला ने जीवन में विभिन्न संस्कारों को देखा और अनुभव किया| कब वो शर्मीली संकुचित नारी से वीरांगना के रूप में उभर आई इस लेखनी द्वारा बहुत ही मर्म के साथ प्रस्तुत किया गया है|
प्रेरणा का स्त्रोत और आत्म विश्वास का प्रारूप है शकु|
जीवन के उस मोढ़ पर जब अजित नहीं रहे, परिवार की बागडोर को संभालना अपने आप में समुचित उदाहरण है उसकी नारी शक्ति का| और फिर आती है राष्ट्र प्रेम और कर्तव्यपरायणता की चरम सीमा जब उसने अपने दोनों पुत्रों को सेना में जाने के लिए नहीं रोका| यह वीर नारी की लेखनी एक खूबसूरत बयान है जो प्रत्येक नारी को जीवन को जीने की शक्ति देगा और भारत के शूरवीरों के परिवारों को जीवन में प्रेरणा का स्त्रोत होगा|
‘नारी शक्ति को शत शत नमन’
शकु: साधारण से, वीर नारी तक...
ISBN : 978-81-956557-9-3 Pages : 141 Binding : PB Year : 2024