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"दीद" लखनवी उर्फ़ सुनील चौधरी लखनऊ के बाशिंदे हैं और कई वर्षों से गीत, ग़ज़ल, नज़्म और कविताएं इत्यादी लिख रहे हैं इससे पहले इनकी तीन किताबें, ‘विहान’, ‘ऐ धूप तुम खिला करो’ दो कविता और शायरी की और एक ऐतिहासिक नाट्यकथा ‘रूपमती का जौहर’ अन्य प्रकाशनों से प्रकाशित हो चुकी हैं

याद तुम्हारी फिर ले आयी…” इनकी चौथी पुस्तक है जिसमें नज़्म और नग़मों को अलग से स्थान दिया है वैसे काफ़ी समय से “दीद” इस पुस्तक में दी गयी रचनाओं को स्वयं स्वरबद्ध करके गाते रहे हैं और निश्चित तौर पर अन्य पाठक और गायक भी इनको बहुत ही सहजता से स्वरबद्ध कर के गा कर इनका आनंद उठा सकते हैं , मगर इनके सम्पादन का समय अब चुना गया है

याद तुम्हारी फिर ले आयी…” इस पुस्तक में दिया हुआ एक सुंदर गीत है जिसको इस किताब के उन्वान मतलब शीर्षक के लिए “दीद” लखनवी ने इस्ततेमाल किया है

उम्मीद है कि इस पुस्तक की संगीतमयी गेय साहित्यिक सामग्री सभी के मन को भायेगी और लोकप्रियता प्राप्त करेगी

इस पुस्तक में नीहित  साहित्यिक सामग्री के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं और इनका व्यवसायीकरण बिना प्रकाशन और लेखक की लिखित अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है

याद तुम्हारी फिर ले आयी....

₹245.00Price
  • ISBN 978-81-969209-8-2
    Pages 51
    Binding PB
    Year 2024

     

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