About the book
आवाज़ उठाने और न्याय मिलने के बीच एक बेहद गहरी खाई है। कई आवाज़ें इस खाई को लांघने से पहले ही दम तोड़ देती हैं और जो मुट्ठी भर उस पार पहुँच पाती हैं, वो भी अक्सर न्याय के बहुत करीब पहुँच कर भी, घुटने टेक देती हैं।
क्यों?
इसका उत्तर जानने के लिए हम सब को अपने गिरेबान में झांकना होगा, उन पुलिस वालों, वकीलों, न्यायाधीशों की कड़क यूनिफार्म के भीतर भी झांकना होगा, जो साथ मिलकर उन आवाज़ों को एक एक कर कुचल देते हैं जो उनकी पितृसत्तात्मक सोच पर खरी नहीं उतरती।
मुख्य कविता 'रास बिहारी की दुल्हन' में पात्रों के नाम भले ही बदल दिए गए है, पर ये एक सच्चाई है जो हमारे फॅमिली कोर्ट्स और समाज में रोज घटती है I
About the author
ये दिल्ली और देहरादून से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उनकी लेखनी का दायरा असीमित है।
वर्तिका शर्मा ‘लेखक’ मानती हैं कि उनकी कविताएँ और कहानियाँ एक शोर हैं—वह शोर जो सुस्त पड़ चुके मुद्दों को जगाने के लिए ज़रूरी है।
पेशे से वकील और समाजसेविका, उन्होंने अदालत की खामोश दास्तानों और सड़कों पर गूँजती कहानियों को सीधे काव्य में पिरोया है। यह उनका पहला हिंदी कविता-संग्रह है, जिसमें रोज़मर्रा की आवाज़ें—सामाजिक न्याय, स्त्री-स्वतंत्रता, जमीनी अनुभव—एक सरल भाषा में सामने आती हैं और सीधे दिल को छू जाती हैं।
अंग्रेज़ी में लिखे उनके लेख और निबंध कई प्रतिष्ठित मंचों एवं समारोहों में प्रकाशित हुए हैं। Bra Strap उनकी चर्चित अंग्रेज़ी पुस्तक है, और When Women Speak Up, The Take Off तथा A Human Voice जैसी अंतरराष्ट्रीय संकलनों में वे सह-लेखिका भी रही हैं।
रास बिहारी की दुल्हन और अन्य कविताएँ
ISBN 9789388848817 Book Type Paperback Genre POETRY Pages 72

